Palaeolithic age in Hindi | पुरा पाषाण काल
Palaeolithic age in Hindi के इस पोस्ट में पुरा पाषाण काल के विषय में उन्हीं महत्वपूर्ण तथ्यों का अध्ययन किया जाना चाहिए जिनसे प्रश्न पूछे जाने की प्रवृति हो। Palaeolithic age in Hindi के पोस्ट में अनावश्यक तथ्य से बचते हुए परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण तथ्यों का संग्रह किया गया है. पाषाण काल के औज़ार, पाषाण काल के मानव , पुरा पाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं, पुरा पाषाण काल के स्थल आदि से सम्बन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं.
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पुरा पाषाण काल
पुरा पाषाण काल (Palaeolithic age) की अवधि- 20 लाख इ० पू०- 10,000इ० पू०(B.C.)
पुरा पाषाण काल (Palaeolithic age) के उपकरण -इस युग का मानव भद्दे, बेडौल और अपरिष्कृत औजारों का प्रयोग करता था।
इस युग को मुख्यतः आखेट व खाद्य संग्रह के रूप में जाना जाताहै। ये पूर्णतः शिकार पर आश्रित थे।
पुरा पाषाण युग को अध्ययन सुविधा के अनुसार तीन उपकालों में विभाजित किया गया है–
- निम्न पुरा पाषाण काल (5 लाख से 50 हजार B.C. तक)
- मध्य पुरा पाषाण काल (60 हजार 40 हजार B.C.तक)
- उच्च पुरा पाषाण काल (40000 BC-10,000 B.C. तक)
निम्न पुरा पाषाण काल :
- इस काल के उपकरण मूलतः क्वार्टजाइट पत्थर से निर्मित थे. इन उपकरणों को निम्न नाम दिया गया है- (1) चापर – चापिंग (पेबुल), (2) हैण्ड एक्स व क्लीवर. इस काल में मानव ने मुख्यतः कोर (Core) उपकरणों का निर्माण किया है।
- भारतीय उपमहाद्वीप में इसका साक्ष्य मुख्यतः सोहन घाटी (पाकिस्तान), बेलन घाटी (जहां से पाषाण काल की तीनों अवस्थाओं के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं) में मिला है।
- सोहन घाटी क्षेत्र में सर्वप्रथम 1928 में डी-एन-वाडिया ने पाषाण उपकरण खोजे। 1935 में पीटरसन व डी-टेरा ने इसका विस्तृत अध्ययन किया।
- बेलन घाटी को भारतीय प्रागैतिहास का टेक्सट बुक (Text Book of Indian Pre History) कहा जाता है।
- प्रमुख स्थल – डीडवाना (राजस्थान), भीमबेटका (मध्य प्रदेश) प्रमुख स्थल हैं. भीमबेटका से बड़े पैमाने पर पाषाण युगीन गुहा चित्र प्राप्त हुए हैं। दक्षिण भारत में पल्लवरम्, अतिरमपक्कम् व गिद्दलूर आदि प्रमुख स्थल है।
- केरल व ऊपरी गंगा घाटी को छोड़कर सम्पूर्ण भारत से पुरापाषाण युगीन स्थल प्राप्त हुए हैं।
- मद्रास के अतिरपक्कम व वदमदुरै से पूर्व पुरापाषाणकाल के हथियार सर्वप्रथम प्राप्त हुए -इन्हें हैण्डेक्स संस्कृति कहा जाता है।
- भारत में पहला हैण्ड एक्स / हस्त कुठार 1863 ई. में मद्रास के पास पल्लवरम् से राबर्ट ब्रुसफूट द्वारा खोज किया गया।।
- भारत में नर्मदा घाटी क्षेत्र में 1935 में पीटरसन एवं डी टेरा ने खुदाई की।
- उत्तरकालीन सोहन के चौंतरा नामक स्थल से सभी प्रकार के उपकरण मिले हैं, यह उत्तर एवं दक्षिण का मिलन स्थल था।
- इन उपकरणों का प्रयोगकर्ता होमोइरेक्टस मानव था.
- सम्भवत: मनुष्य का परिचय अग्नि से हो चुका था परन्तु अभी अग्नि का नियमित उपयोग नहीं होता था.
- अग्नि के प्रयोग का प्रथम प्रमाण चीन के ‘चाऊ-जू-कोजियन’ गुफा से प्राप्त हुआ है.
मध्य पुरा पाषाण काल :
- इस काल में कच्चे माल में परिवर्तन आया तथा क्वार्टजाइट पत्थर की जगह चर्ट, जैस्पर व अन्य चमकदार पत्थर अपनाए गए।
- फलक उपकरणों की अधिकता के कारण इसे फलक संस्कृति कहा गया है। फलक उपकरणों में खुरचनी (Scrapper), बेधनी, बेधक तथा तक्षणी प्रमुख हैं। इसके निर्माण में फलक की प्रमुख भूमिका थी।
- महाराष्ट्र के नेवासा से मध्य पुरापाषाण काल के औजार मिले हैं। इसे प्रारूप स्थल बताया गया है।
- नर्मदा नदी के हथनौरा नामक स्थान से अरुण सोनकिया ने मानव कंकाल ढूंढा जो आद्य होमोसेपियन था।
- बूढ़ा पुष्कर क्षेत्र राजस्थान में मध्य पुरापाषाण कालीन आदर्श क्षेत्र था। बागन, बेराच व कदमकी नदी क्षेत्र भी।
- मध्य पुरापाषाणकालीन मानव पंजाब नहीं गए, वहां से कोई स्थान नहीं मिलता। प्रतीत होता है कि वहां कच्चे माल का अभाव था।
- पश्चिम में अफगानिस्तान, ईरान, ईराक व पाक से भी ऐसे उपकरण मिले पर साथ ही ये अपने काल के मोस्तरी संस्कृति -पश्चिमी यूरोप से खूब मिलते हैं।
- वैश्विक स्तर पर नियेंडरथल मानव का सम्बन्ध भी मध्य पुरापाषाण काल से था।
- शल्क/फलक निर्माण हेतु लवालवाई तकनीकी का प्रयोग तेजी से प्रचलित हो रहा था।
उच्च पुरा पाषाण काल :
- होमोसेपियन्स अर्थात् आधुनिक मानव का विकास इस युग की विशेषता है।
- उपकरण बनाने की सामग्री लंबे व स्थूल प्रस्तर फलक होंगे – फलक उद्योग, ब्लेड, ब्यूरिन। ब्लेड इस काल का प्रमुख उपकरण था। इसके अलावा खुरचनी, बेधनी, आरी, तक्षणी व चाकू प्रमुख उपकरण है।
- उपकरणों में तक्षणी व खुरचनी की प्रतिशत मात्र बहुत अधिक है।
- बेलन तथा सोन घाटी, सिंह भूमि, भीमवेटका, बखुरी बाघोर पटणे, इनामगांव, रेनुगुंटा व कर्नूल की गुफाएं आदि इस काल के उपकरणों के प्रमुख प्राप्ति स्थल हैं।
- उच्च पुरापाषाण काल में अस्थि उपकरणों की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो गई थी, पहली बार ये कुर्नूल के गुफाओं में प्राप्त हुए। आंध्र के बेटमचेर्ला व रेनीगुंटा से अनेक अस्थि उपकरण मिले हैं।
- नक्काशी व चित्रकारी दोनों रूपों में कला का विकास इस काल में मिलता है। विन्ध्य क्षेत्र के शैलाश्रयों में अनेक गुहा चित्रों का निर्माण भी इसी काल में हुआ।
- इस काल के शैल चित्रों में मुख्यत: गेरुआ, लाल, सफेद, हरा, पीला आदि वर्णों का प्रयोग किया गया है।
- उच्च पुरापाषाणकाल का सर्वोत्तम उदाहरण बेलन घाटी से मिलता है। बेलन घाटी के लोहंदा नाला क्षेत्र से इस काल की अस्थि निर्मित मातृदेवी की प्रतिमा मिली है।
- उच्च पुरापाषाण काल में राजस्थान, मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र से शुतुरमुर्ग के अंडे मिले जो सूखे क्षेत्र की बात सिद्ध करते हैं।
- पटणै महाराष्ट्र से शुतुरमुर्ग के तीन अण्ड कवचों पर अलंकरण मिलता है।
- केरल से पुरापाषाण काल के औजार मिले ही नहीं है।
- पुरा पाषाणकालीन स्थल – सोहनघाटी, रिबात, बोरी, नेवासा, भीमबेटका, हथनौरा, बेलनघाटी, पलवरम, अतिरपक्कम, बदमदुरै, सिंध क्षेत्र, प्रवरा घाटी, गिद्दलूर, करीमपुड़ी व मानाजनकारन। अग्नि से अपरिचित होने के कारण इस काल के लोग कच्चा मांस खाते थे।
- मछली पकड़ने का काँटा भी मिला है।
- मध्य प्रदेश के भीमबेटका से प्राप्त चित्रों में नृत्य, मदिरापान, जुलुस आदि प्रमुख हैं. यह स्थल अब यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है।
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FAQ
पुरा पाषाण युग का प्रमुख औजार क्या था?
निम्न पुरा पाषाण काल– 1) चापर – चापिंग (पेबुल), (2) हैण्ड एक्स व क्लीवर
मध्य पुरा पाषाण काल– खुरचनी (Scrapper), बेधनी, बेधक तथा तक्षणी
उच्च पुरा पाषाण काल– खुरचनी, बेधनी, आरी, तक्षणी व चाकू