मध्यकालीन बिहार का इतिहास : महत्वपूर्ण तथ्य / History of Medieval Bihar : Important Facts

मध्यकालीन बिहार का इतिहास

मध्यकालीन बिहार का इतिहास

आरंभिक मध्यकालीन बिहार

$       प्राचीन काल से बिहार सत्ता अथवा भारतीय राजनीति का केंद्र रहा था, मध्यकाल में यह पहली बार दिल्ली के प्रभाव में आया.

$        पाल वंश के पतन के बाद बिहार में जनजातीय राज्यों का उदय हुआ, जिनमे चेरों राज प्रमुख था। चेरो राज ने शाहाबाद, सारण, चंपारण, मुजफ्फरपुर एवं पलामू जिलों में राज किया। यह लगभग ३०० वर्षों तक शासन करते रहे।

$        बारहवीं शताब्दी के अंत और तेरहवीं शताब्दी के आरंभ में बनारस और अवध क्षेत्र के सेनापति मलिक हुसामुद्दीन के सहायक इख्तियारूद्दीन मोहम्मद इब्ने बख्तियार खिलजी ने बिहार के कर्मनासा नदी के पूर्वी और सफल सैनिक अभियान किए।

$        बख्तियार खिलजी के सफल अभियानों के साथ ही बिहार में तुर्क शासन का युग आरंभ हुआ। इस समय सेन वंश का शासक लक्ष्मण सेन और पालवंश का शासक इन्द्रद्युम्मन पाल था।

$        बख्तियार खिलजी की पहली महत्त्वपूर्ण सफलता ओदंतपुरी बिहार (बिहार शरीफ) की विजय थी, जो 1198 ई. में सम्पन्न हुई।

$        बख्तियार खिलजी ने सम्भवतः ओदंतपुरी विश्वविद्यालय को लूटा था।

$        लामा तारनाथ के अनुसार उसने नालंदा विश्वविद्यालय को तहस नहस किया।

$        बख्तियार खिलजी ने आधुनिक बख्तियारपुर नगर की स्थापना की थी.

$        बख्तियार खिलजी ने 1203-04 में उसने नदिया (बंगाल) पर चढ़ाई की जो लक्ष्मणसेन की राजधानी थी।

$        बख्तियार खिलजी ने उत्तर बिहार के मैदान एवं बंगाल के अधिकांश हिस्सों पर कब्ज़ा कर अपनी राजधानी लखनौती में बनाया।

$        बख्तियार खिलजी की हत्या उसके एक अधिकारी अलीमर्दान खिलजी ने कर दी. उसका शव सम्भवतः बिहारशरीफ के इमादपुर मोहल्ला में दफनाया गया।

सल्तनत काल में मध्यकालीन बिहार

$        इल्तुतमिश ने लगभग 1225 बिहार शरीफ एवं उसके आस पास अधिकार किया।

$        इल्तुतमिश ने राजमहल की पहाड़ियों में तेलियागढ़ी के पास हिसामुद्दीन इवाज को पराजित किया तथा अपने प्रतिनिधि के रूप में मलिक अलाउद्दीन जानी को नियुक्त किया, वह बिहार में दिल्ली का प्रथम प्रतिनिधि था।

$         शीघ्र ही इवाज ने मलिक अलाउद्दीन जानी को हटाकर नियंत्रण कर लिया बदले में इल्तुतमिश के पुत्र नसीरुद्दीन महमूद जो उस समय अवध का गवर्नर था, ने इवाज को मारकर सम्पूर्ण क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया.

$        इल्तुतमिश ने बिहार का शासन इख्तयारूद्दीन चुस्तकबा ‘यागानतुन’ तथा कुछ समय बाद इज्जुद्दीन तुगरिल तुगान खां को प्रदान किया था।

$        नसीरुद्दीन महमूद की मृत्यु के बाद इख्तियारुद्दीन बल्ख खिलजी ने विद्रोह किया जिसे इल्तुतमिश ने दबाया तथा बिहार एवं बंगाल को अलग कर दिया।

$        इल्तुतमिश ने मलिक अलाउद्दीन जानी को बंगाल का गवर्नर तथा सैफुद्दीन ऐबक को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया। बाद में फिर तुगान खां बिहार का राज्यपाल बना।

$        गया प्रशस्ति के अनुसार बलबन के शासन काल में गया का क्षेत्र दिल्ली के अधीन था।

$        लखनौती के शासक तुगरिल खान ने आरम्भ में बलबन की अधीनता स्वीकार की किन्तु 1279 -80 में उसने विद्रोह कर दिया जिसे बलबन ने दबाया एवं उसे मार डाला।

$        अलाउद्दीन खिलजी 1297 में शेख मोहम्मद इस्माइल के नेतृत्व में सेना को दरभंगा के शासक राजा सक्र सिंह के खिलाफ भेजा जिसे सक्र सिंह ने हरा दिया किन्तु आगे इस्माइल ने सक्र सिंह को बंदी बनाकर अलाउद्दीन के पास ले गया।

$        सक्र सिंह एवं अलाउद्दीन में समझौता हो गया तथा सक्र सिंह ने अलाउद्दीन की ओर से रणथम्भौर अभियान में हिस्सा लिया था।

$        तुगलक काल में बिहार पर दिल्ली के शासकों का निर्णायक वर्चस्व स्थापित हुआ था।

$        तुगलक काल में बिहार की राजधानी बिहार शरीफ थी। इस काल में बिहार का सबसे प्रसिद्ध प्रशासक मलिक इब्राहिम था, जो सामान्यतः मलिक बया कहलाता था। बिहार शरीफ में पहाड़ी पर स्थित मलिक बया का मकबरा तुगलककालीन स्थापत्य का एक सुंदर नमूना है, जिसका आकर्षण इसका गुम्बद है।

$        तुगलक सुल्तान नासिरूद्दीन महमूद ने 1394 ई. में बिहार का शासन ख्वाजा जहां को सौंप दिया था। इसे सुल्तान उस शर्क की उपाधि प्राप्त थी।

$        1398-99 में तैमूर के आक्रमण के फलस्वरूप तुगलक साम्राज्य का विघटन हुआ तथा बिहार का आंशिक क्षेत्र (बक्सर और दरभंगा तक) जौनपुर राज्य का अंग बन गया।

$        बिहार शरीफ अभिलेख के अनुसार सिकंदर लोदी ने 1495-96 में हुसैन शाह शर्की को पराजित कर दरिया खां नूहानी को बिहार में नियुक्त किया।

$        सिकंदर लोदी ने 16वीं शताब्दी के प्रारम्भ में बंगाल के शासकों के साथ संधि करके मुंगेर के क्षेत्र को बिहार और बंगाल के बीच सीमा रेखा निर्धारित कर दिया।

$        पानीपत की प्रथम लड़ाई (1526 ई.) के बाद अफगान सुल्तान मोहम्मद शाह नूहानी ने बिहार में स्वतंत्र सत्ता की स्थापना की।

$        मुगल शासक हुमायूं ने 1532 में दौरा के युद्ध में नूहानी शासकों को पराजित कर बिहार के कई क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया।

$        नूहानी शक्ति के पतन से अफगानों के बीच एक नए नेता फरीद खां या शेरशाह सूरी का उदय हुआ।

$        शेरशाह, सहसराम के जागीरदार हसन खां सूर का पुत्र था। बिहार के सुल्तान बहार खां की शेर से रक्षा करने के कारण  उसे ‘शेर खां’ की उपाधि प्रदान की गई थी।

$        सुरजगढ़ा की लड़ाई (1536 ई.) में शेरशाह ने बंगाल की सेना को पराजित किया और पूर्वी भारत में अपनी स्थिति सुदृढ़ कर ली। 1537 ई. में उसने बंगाल पर भी अधिकार कर लिया।

$        1539 ई. में चैसा तथा 1540 ई. में बिलग्राम अथवा कन्नौज की लड़ाई में हुमायूं को पराजित कर शेरशाह ने स्वयं को दिल्ली का सुल्तान घोषित कर लिया।

$        अब्दुल्लाह द्वारा रचित ‘तारीखे दाअनुसार शेरशाह ने अपने शासनकाल में पटना में एक दुर्ग का निर्माण कराया था तथा इस नगर को पुनः बिहार की राजधानी बनाया। तब से पटना नगर लगातार विकास करता रहा है।

शेरशाह का मकबरा / Shershah Tomb

$        सहसराम स्थित स्थापत्य कला के सुंदरतम नमूने ‘शेरशाह काऊदी’ के  मकबरा’ का निर्माण स्वयं शेरशाह सूरी ने अपने जीवनकाल में कराया था।

 

मुग़ल काल में मध्यकालीन बिहार

$        1574 ई. में अफगान सरदार दाऊद खां करारानी को पराजित करके मुगल सम्राट अकबर ने पटना का नगर जीता।

$        1580 के लगभग मुगल सम्राट अकबर ने बिहार को मुगल साम्राज्य का सूबा/प्रांत बना दिया तथा मुनीम खां को बिहार का गवर्नर नियुक्त किया। यह स्थिति औरंगजेब के शासन तक बनी रही।

$        अकबर के काल में राजा मान सिंह ने बिहार में मुगल सत्ता को सुदृढ़ बनाया। मान सिंह ने रोहतास को अपनी राजधानी बनाई। मानसिंह ने 1587 से 1594 के बीच बिहार में मुग़ल साम्राज्य को मजबूती प्रदान की। 

$        मध्यकालीन बिहार अकबर के 12 सूबों (प्रांतो) में से एक था।

$        मुगल सम्राट अकबर ने महेश ठाकुर को पुरस्कार स्वरूप मिथिला राज्य दे दिया।

$        महेश ठाकुर का वंश दरभंगा राजवंश के नाम से जाना जाता है।

$        अकबर के अंतिम समय में बिहार का क्षेत्र जहाँगीर के विद्रोह से प्रभावित रहा जिसके कारण असद खान को बिहार के गवर्नर के पद से हटाकर आसफ खान को इस पद पर नियुक्त किया गया।

$        जहाँगीर के काल में लालबेग उर्फ बाज बहादुर को बिहार का सूबेदार (प्रांत पति) नियुक्त किया।

$        बाज बहादुर ने खडगपुर के राजा संग्राम सिंह के विद्रोह को सफलतापूर्वक दबाया तथा दरभंगा में एक मस्जिद एवं नूरजहां के बंगाल से दिल्ली जाने के क्रम में रूकने के लिए नूरसराय नामक सराय का निर्माण कराया।

$        अफजल खान 1608 में बिहार का सूबेदार बना जिसने क़ुतुब नामक फ़क़ीर के विद्रोह को दबाया।

$        1615 में नूरजहाँ के भाई इब्राहिम खान काकर को बिहार का सूबेदार नियुक्त किया गया।

$        1616 में इब्राहिम खान बिहार का सूबेदार बना जिसने मनेर में मखदूम शाह दौलत का मकबरा बनवाया जो बिहार में मुग़ल स्थापत्य का सर्वोत्कृष्ट उदहारण है।

$        1621 ई. में जहांगीर ने राजकुमार परवेज को बिहार का सुबेदार या प्रांतपति नियुक्त किया। इसके बाद यह पद केवल राजकुमारों को ही प्रदान किया जाने लगा।

$        परवेज बिहार का सूबेदार/प्रांतपति बनने वाला पहला मुगल राजकुमार था।

$        शहजादा खुर्रम / शाहजहाँ ने जहाँगीर के खिलाफ विद्रोह कर के पटना और आसपास का क्षेत्र  परवेज से छीन लिया तथा खानेदुर्रान (बैरम बेग) को बिहार का सूबेदार नियुक्त कर दिया। 

$       आगे परवेज की सेना ने बहादुरपुर के समीप खुर्रम की सेना को पराजित किया। पराजित खुर्रम रोहतास में अपनी पत्नी मुमताज़ महल के पास गया और उसके बाद बुरहानपुर चला गया। इसके बाद सम्पूर्ण बिहार पर परवेज का अधिकार हो गया।

$       जहाँगीर के शासनकाल में बिहार का अंतिम सूबेदार मिर्जा रुस्तम सफावी था।

$        शाहजहाँ ने 1632 में अब्दुल्ला खां को बिहार का प्रांतपति/सुबेदार नियुक्त किया उसने उज्जैनी शासक को मुग़ल साम्राज्य में मिलाया।

$       अब्दुल्ला खां के बाद मुमताज़ महल का भाई शाइस्ता खान बिहार का सूबेदार बना।

$        दिल्ली में मुगल बादशाह बनने के बाद औरंगजेब ने दाउद  खां कुरैशी  को बिहार का सूबेदार नियुक्त किया

$        औरंगजेब के समय ब्रिटिश यात्री बर्नीयर बिहार आया था

$        बिहार के भयंकर अकाल का जिक्र ब्रिटिश यात्री जान मार्शल तथा डच यात्री डी ग्रैफी ने किया है

$        1702 ई. में औरंगजेब ने अपने प्रिय पौत्र राजकुमार अजीम को बिहार का सुबेदार नियुक्त किया। राजकुमार अजीम ने पटना को अजीमाबाद नया नाम दिया और उसका पुनर्निर्माण भी कराया।

$        फर्रूखसीयर, पहला मुगल बादशाह था जिसका 1713 ई. में राज्याभिषेक बिहार की राजधानी पटना में हुआ।

$        बंगाल के नवाब अलीवर्दी खां के समय सिराजुदौला बिहार का उपनवाब था

मध्यकालीन बिहार का सांस्कृतिक इतिहास

$        पटना के समीप मनेर में मखदुम शाह दौलत का 1616 ई. में निर्मित मकबरा, बिहार में मुगल स्थापत्य का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है।

$        1597 ई. में निर्मित रोहतासगढ़ के महल का निर्माण फतेहपुर सीकरी के भवनों के अनुरूप किया गया था।

$        1734-40 ई. तक अलीवर्दी खां अजीमाबाद अर्थात पटना का नवाब रहा।

$        मध्यकालीन बिहार में सांस्कृतिक प्रगति का क्रम बना रहा और एक समन्वित परम्परा विकसित हुई जिसमें सूफी संतों की देन महत्त्वपूर्ण रही। बिहार में आरंभिक सूफियों में बारहवीं शताब्दी में मनेर में बसने वाले संत इमाम ताज फकीह प्रमुख थे।

$        तेरहवीं शताब्दी में चिश्ती, कादिरी, सुहराबर्दी, मदारी और फिरदौसी सूफी सिलसिले बिहार में सक्रिय थे। इनमें सबसे अधिक लोकप्रियता फिरदौसी सिलसिले को प्राप्त हुई।

$        फिरदौसी सिलसिले के सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि चैदहवीं शताब्दी के संत मखदुम शर्फुद्दीन याह्मा मनेरी थे। इनकी दरगाह बिहार शरीफ में स्थित है।

$        बिहार में समन्वयवादी संस्कृत के विकास में संत दरिया साहेब तथा उनके अनुयायियों, जो दरियापंथी कहलाए, की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी।

$        परवर्ती मुगल शैली पर आधारित पटना सिटी में स्थित हैबत जंग का मकबरा अपनी सुंदर जालियों के लिए प्रसिद्ध है। इसका निर्माण 1748 ई. में हुआ था।

$        सिक्खों के गुरू तेगबहादुर ने बिहार में सहसराम पटन  तथा बोधगया की यात्रा की थी।

$        सिक्खों के दसवें गुरू गोविंद सिंह का जन्म पटना में 26 दिसम्बर, 1666 को हुआ था। वर्तमान में इस स्थान पर 109 फीट ऊंचा सात मंजिला भवन निर्मित है, जो सिक्खों के लिए पवित्रतम स्थानों में से एक है। इस गुरूद्वारे को तख्त श्री हरमंदिर जी कहते हैं।

$        पटना शहर के पूर्वी छोर पर कटरा मुहल्ले के निकट गुरूद्वारा ‘गुरू का बाग’ है, जहां गुरू तेगबहादुर असम यात्रा से लौटते समय रूके थे।

भोजपुर के उज्जैन वंशीय शासक

$        1305 में मालवा पर अधिकार अलाउद्दीन खिलजी के अधिकार हो जाने के बाद भोजराज ने अपने पुत्र देवराज एवं अन्य  सहयोगियों के साथ चेरों राज मुकुंद के यहाँ शरण ली।

$        उज्जैन से सम्बन्धित होने के कारन ये उज्जैनी राजपूत कहलाए। चेरों राज्य ने गंगा घाटी का क्षेत्र इन्हें जागीर में दिया।

$         मुकुंद के बाद सह्सबल शासक बना जिसने भोजराज की हत्या  कर दी, इसके प्रत्युत्तर में देवराज ने सह्स्बल को मारकर चेरो राज पर अधिकार कर लिया एवं भोजपुर नमक नगर की स्थापना की।

$        चेरों और उज्जैनी शासकों के बीच संघर्ष चलता रहा जिसमें दिल्ली के सहयोग से उज्जयिनी सफ़ल  रहे तथा इनका शासन अंग्रेजों के समय तक चलता रहा।

नुहानी वंश

$        सिकंदर लोदी ने मुंगेर के क्षेत्र तो बिहार और बंगाल के बीच सीमा निर्धारित कर दिया। सिकंदर लोदी ने 1495-96 में हुसैन शाह शर्की को पराजित कर दरिया खां नूहानी को प्रशासक बना।

$        बहार खां ने सुल्तान मोहम्मद शाह नूहानी नाम से बिहार में स्वतंत्र सत्ता की स्थापना की।

$        सुल्तान मोहम्मद ने कनकपुरा के युद्ध में इब्राहीम लोदी की सेना को पराजित किया था।

$        आगे जलाल खां शासक नियुक्त हुआ जिसका संरक्षक फरीद खां उर्फ़ शेर खां नियुक्त हुआ।

$        मुग़ल शासक हुमायूँ ने १५३२ में दौरा के युद्ध में अफगानों को पराजित कर बिहार के कुछ क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया।

$        आगे बिहार का शासक शेर खां बना जिसने हजरत-ए-आला की उपाधि धारण की।

बिहार में अफगान

शेरशाह (1472-1545)

$        शेरशाह का जन्म 1472 में हुआ।

$        शेरशाह के पिता हसन खां जौनपुर राज्य के अंतर्गत सासाराम के जागीरदार थे।

$        बिहार के अफगान शासक बहार खां लोहानी ने शेरशाह को शेर खां की उपाधि प्रदान की।

$        इब्राहीम लोदी ने शेरशाह को ख्वासपुर टांड और सासाराम की जागीर सौंप दी।

$        सुल्तान मुहम्मद शाह ने शेरशाह को अपने पुत्र जलाल खां का शिक्षक व संरक्षक नियुक्त किया था।

$        शेरशाह ने 1534 में  सुरजगढ़ की लड़ाई में बंगाल की सेना को पराजित किया।

$        1539 में शेरशाह ने बक्सर के समीप चौसा की लड़ाई में हुमायु को पराजित किया।

$        चौसा की लड़ाई में विजयी होने के पश्चात शेर खां ने शेरशाह की उपाधि धारण की।

$        शेरशाह ने बिलग्राम के युद्ध में हुमायूं को (17 मई, 1540) में पराजित किया।

$        10 जून, 1540 को आगरा में  शेरशाह का राज्याभिषेक हुआ।

$        1540 में ही शेरशाह ने लाहौर पर अधिकार कर लिया।

$        शेरशाह ने देश में डाक-प्रथा की शुरूआत की।

$        शेरशाह ने पटना का दूर्ग बनवाया और पुनः इसे बिहार की राजधानी बनाया। इसका उल्लेख तारीखे दाउदी में  मिलता है जिसकी रचना अब्दुल्लाह ने की है।

$        शेरशाह ने 1543 में मालवा एवं रणथंभौर पर अधिकार कर लिया।

$        शेरशाह ने 1543 में रायसीन और चंदेरी पर अधिकार कर लिया।

$        शेरशाह की मृत्यु 22 मई 1545 को हुई।

$        सिंहासन पर बैठते समय शेरशाह की उम्र थी 68 वर्ष।

$        शेरशाह ने कबुलियत एवं पट्टा प्रथा की शुरूआत की जो किसानों के साथ किया जाता था।

$        शेरशाह के समय लगान की दर थी पैदावार का 1/3 भाग।

$        शेरशाह ने 178 ग्रेन चांदी का रूपया तथा 380 ग्रेन तांबे के दाम का प्रचलन शुरू किया।

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