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2 Non Brahmin literature | ब्राह्मणेत्तर साहित्य | गैर ब्राह्मण साहित्य- Ultimate Facts

Non Brahmin literature अर्थात  ब्राह्मणेत्तर साहित्य (गैर ब्राह्मण साहित्य) के अंतर्गत प्राचीन काल के ब्राह्मण विरोधी धर्मों के साहित्य को लिया जा सकता है जिनमें सबसे प्रमुख बौद्ध एवं जैन साहित्य हैं। ऐतिहासिक स्रोतों में साहित्यिक स्रोत के रूप में धार्मिक साहित्य के अंतर्गत ब्राह्मण ग्रंथ एवं गैर ब्राह्मण ग्रंथ को शामिल किया जाता है। 

Non Brahmin literature (ब्राह्मणेत्तर साहित्य)

Non Brahmin literature अर्थात  ब्राह्मणेत्तर साहित्य (गैर ब्राह्मण साहित्य) को दो वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है-

  • बौद्ध साहित्य
  • जैन साहित्य

Non Brahmin literature (ब्राह्मणेत्तर साहित्य) : बौद्ध साहित्य

भारतीय इतिहास के साधन के रूप में बौद्ध साहित्य का विशेष महत्त्व है।

त्रिपिटक

  • बुद्ध की शिक्षाओं को संकलित कर उन्हें तीन भागों में बाँटा गया जिन्हे त्रिपिटक कहते हैं, ये त्रिपिटक है सुत्तपिटक, विनय पिटक और अभिधम्म पिटक
  • इन त्रिपिटकों की रचना बुद्ध के निर्वाण प्राप्त करने के बाद हुई।
  • सुत्तपिटक बुद्ध के धार्मिक विचारों और वचनों का संग्रह। इसे बौद्ध धर्म का ‘इनसाइक्लोपीडिया’ भी कहा जाता है।
  • विनयपिटक बौद्ध संघ के नियमों का उल्लेख
  • अभिधम्मपिटक बौद्ध दर्शन का विवेचन (दार्शनिक सिद्धान्त)

जातक कथाएं

  • बौद्धों के धार्मिकेत्तर साहित्य में सबसे महत्त्वपूर्ण और रोचक, गौतम बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथाएँ (जातक) हैं।
  • ईसा पूर्व पहली शताब्दी में जातकों की रचना आरम्भ हो चुकी थी, जिसका प्रमाण भरहुत और साँची के स्तूप की वेष्टनी पर उत्कीर्ण दृश्यों से स्पष्ट है।
  • जातक कथाएं गद्य एवं पद्य दोनों में लिखे गये हैं, जिनमें पद्यांश अधिक प्राचीन हैं। जातकों की संख्या 550 है।
  • ये जातक ईसा पूर्व के पाँचवीं सदी से दूसरी सदी तक की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर बहुमूल्य प्रकाश डालते हैं।

अन्य बौद्ध साहित्य

  • बुद्ध घोष द्वारा विरचित ग्रंथ विसुद्धिमग्ग बौद्धधर्म के ‘हीनयान’ शाखा से सम्बन्धित है। इसे बौद्ध-सिद्धान्तों पर अत्यन्त प्रमाणिक दार्शनिक ग्रन्थ माना जाता है।
  • श्रीलंका में बौद्ध ग्रन्थों को ई.पू. द्वितीय शताब्दी में संकलित किया गया।
  • श्रीलंका के बौद्ध ग्रन्थ- दीपवंश एवं महावंश की रचना क्रमशः चौथी एवं पाँचवीं शताब्दी में हुई। इन पालि ग्रन्थों से मौर्यकालीन इतिहास की सूचना मिलती हैं।
  • पालि भाषा का एक अन्य महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ नागसेन द्वारा रचित मिलिन्दपन्हो (मिलिन्द प्रश्न) है। इसमें यूनानी राजा मिनाण्डर और बौद्ध भिक्षु नागसेन का दार्शनिक वार्तालाप है।
  • दिव्यावदान में अनेक राजाओं की कथाएँ हैं। आर्य-मंजू-श्री-मूल-कल्प में गुप्त सम्राटों का वर्णन मिलता है।
  • अंगुत्तर निकाय में सोलह महाजनपदों का वर्णन मिलता है।
  • संस्कृत में लिखे गये बौद्ध ग्रन्थों में महावस्तु एवं ललित-विस्तार में महात्मा बुद्ध के जीवन वृत्त का चित्रण है।
  • संस्कृत भाषा में लिखे गये बौद्ध ग्रन्थों में ‘अश्वघोष’ रचित बुद्धचरित, सौन्दरानन्द, सारिपुत्र प्रकरण आदि महत्त्वपूर्ण है।

 

Non Brahmin literature (ब्राह्मणेत्तर साहित्य) : जैन साहित्य

आगम

  • जैन साहित्य को आगम (सिद्धान्त) कहा जाता है।
  • जैन आगमों में सबसे महत्त्वपूर्ण बारह अंग है प्रत्येक का उपांग भी है। इन पर अनेक भाष्य लिखे गये, जो नियुक्ति, चूर्णि, टीका कहलाते हैं।
  • जैन आगामों का वर्तमान रूप वल्लभी की एक सभा (513 या 526 ई. (छठी शदी)) में निश्चित किया गया था।
    भगवती सूत्र में सोलह महाजनपदों का एवं महावीर के जीवन का उल्लेख है।

अन्य जैन साहित्य

  • जैन धर्म का प्रारम्भिक इतिहास भद्रबाहु रचित ‘कल्पसूत्र’ (लगभग चौथी शती ई.पू.) से ज्ञात होता है।
  • जैन ग्रन्थ की रचना प्राकृत भाषा में हुई थी। जैन ग्रन्थों में परिशिष्ट पर्व, भद्रबाहु चरित, आवश्यक सूत्र, आचारांग सूत्र, भगवती सूत्र, कालिका पुराण आदि ऐतिहासिक रूप से उल्लेखनीय हैं।
  • आचारांग सूत्र में जैन भिक्षुओं के आचार नियमों का उल्लेख है।
  • नायाधम्मकहा में महावीर की शिक्षाओं का संग्रह है।
  • जैन ग्रन्थों में सबसे महत्त्वपूर्ण हेमचन्द्र कृत परिशिष्टपर्व है। परिशिष्ट पर्व तथा भद्रबाहुचरित से चन्द्रगुप्त मौर्य के जीवन की प्रारम्भिक तथा उत्तरकालीन घटनाओं की सूचना मिलती है।
  • पूर्व मध्यकाल में अनेक जैन कथाकोषों और पुराणों की रचना हुई, जिसमें महत्त्वपूर्ण हैं हरिभद्र सूरि का समरादित्य कथा, मूर्खाख्यान और कथाकोषउद्योतन सूरि का ‘कुवलयमाला’ जिनसेन का ‘आदिपुराण’ तथा गुणभद्र का ‘उत्तरपुराण’ आदि।

 


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ब्रह्मणेतर साहित्य : FAQ

Q. ब्रह्मणेतर साहित्य में किन ग्रंथों को शामिल किया जाता है ?

ब्रह्मणेतर साहित्य में बौद्ध एवं जैन धर्म से संबंधित ग्रंथों को शामिल किया जाता है।

Q. धार्मिक साहित्य से इतिहास का निर्माण कैसे होता है ?

यह सत्य है कि धार्मिक ग्रंथ लेखन का दृष्टि ऐतिहासिक नहीं होती है किन्तु इन ग्रंथों से उस समय के समाज एवं अर्थव्यवस्था/आर्थिक गतिविधियों के विषय में जानकारी मिलती है।

Q. ब्रह्मणेतर साहित्य की भाषा क्या है?

ब्रह्मणेतर साहित्य से संबंधित बौद्ध एवं जैन धर्म के ग्रंथ पालि एवं प्राकृत में ही मिलते हैं, हालांकि आगे चलकर कुछ ग्रंथों की रचना संस्कृत में भी किया गया।

Q. ब्रह्मणेतर साहित्य से किस काल के इतिहास के निर्माण में सहायता मिलती है?

बौद्ध एवं जैन धर्म का उदय गंगा घाटी में छठी शताब्दी ई0 पू0 में हुआ था इसलिए इसकाल के इतिहास निर्माण में इन ग्रंथों की महत्वपूर्ण भूमिका है, जातक कथाओं में बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथा है अत: इनसे इस काल के पहले के बारे में सूचना मिलती है।