Mesolithic age in Hindi | Microlithic age in Hindi – मध्य पाषाण काल से पूछे जाने वाले प्रश्नों को ध्यान में रखकर मध्य पाषाण काल के लिए महत्वपूर्ण तथ्यों का संग्रह किया गया है । मध्य पाषाण काल (Mesolithic or Microlithic) संक्रमण काल का प्रतिनिधित्व करता है। फलतः मानव के उपकरण, शिकार व रहन-सहन की पद्धति में पहले की तुलना में महत्वपूर्ण परिवर्तन दृष्टिगोचर होता है। मानव अब अपेक्षाकृत छोटे-छोटे शिकार करने लगा, जैसे मछलियाँ व पक्षी। इस युग के मानव ने शिकार के साथ-साथ खाद्यान्न (जंगली) का संग्रह भी सीख लिया था। सर्वप्रथम कुत्ते को पालतू बनाया गया जो शिकार में मदद करता था।
Mesolithic age in Hindi (मध्य पाषाण काल):
- मानव के शारीरिक प्रारूपों का सबसे पहला विवरण इलाहाबाद के निकट सरायनाहर राय से और पड़ोस के बागइखोर व लेखहिया क्षेत्रें से मध्य पाषाण काल का प्राप्त होता है।
- मध्य पाषाण काल के बारे में जानकारी प्रथमतः 1867 में कार्लाइल ने विंध्य क्षेत्र से लघु पाषाणोपकरण खोजकर दिए।
- सरायनाहर राय, चोपानीमान्डो तथा महदहा जैसे महत्वपूर्ण मध्य पाषाणिक स्थल मध्य गंगा घाटी (बेलन घाटी) में स्थित हैं।
- सरायनाहर राय से हड्डी और प्रस्तर उपकरण मिले हैं।
- चोपानीमांडो से स्थाई जीवन के साक्ष्य स्वरूप चूल्हा, चक्की और मूसल प्राप्त हुए हैं। चूल्हे की प्राप्ति इस बात का प्रमाण है कि सामूहिक जीवन के साथ-साथ भोजन पकाने की कला की शुरूआत हो चुकी थी।
- अग्नि का प्रयोग मध्य पाषाण काल को पुरापाषाण काल से अलग करता है।
- मध्य पाषाणकालीन स्थलों में कब्रिस्तानों की संख्या ही अधिक है।
- इसी युग में मिसाइल (प्रक्षेपास्त्र) टेक्नालॉजी का भी विकास हुआ, जैसे- भाला, धनुष-बाण आदि। प्रक्षेपास्त्र तकनीकी का विकास मध्य पाषाण काल की महान क्रांति है।
- इस काल की विशिष्ट तकनीकी नाली अलंकरण – फ्रलूटिंग है।
- मध्य पाषाण काल के उपकरण प्रारूप हैं – इकधार फलक(ब्लेड), बेधनी, अर्द्धचंद्राकार व समलंब।
- इस काल के उपकरण आकार में छोटे व परिष्कृत हैं, इसलिए इन्हें सूक्ष्म उपकरण (Microliths) कहा जाता है।
- भीमबेटका (रायसेन जिला) में ऐश्यूली लोगों की भारी आबादी का संकेत मिलता है। यहां से मानव अंत्येष्टि के भी प्रमाण मिले हैं।
- मध्य पाषाण काल के महदहा व दमदमा से अपवाद स्वरूप कृषि साक्ष्य मिला है जो की इस काल की सामान्य विशेषता नहीं है।
- आदमगढ़, बागौर, सरायनाहरराय व महदहा से निवास के साक्ष्य भी मिले हैं।
- इस काल में मानव कंकाल का सबसे पहला अवशेष प्रतापगढ़ (उ.प्र.) के सरायनाहर राय, दमदमा व महदहा से प्राप्त हुआ।
- मानवीय आक्रमण या युद्ध का साक्ष्य सरायनाहरराय से प्राप्त हुआ है।
- बागौर में बांस बल्ली का स्तंभ गर्त मिला है, यह एक आवास स्थल है। इस स्थल की खुदाई बी-एन-मिश्रा ने 1968-70 में की।
- बागोर क्षेत्र से एक त्रिकोण पत्थर का टुकड़ा मिला है जो तीन संकेन्द्रीय वृत्तों से घिरा था, यह ऐतिहासिक काल के मातृदेवी के गर्भगृह जैसा है।
- राजस्थान के बागौर व मध्यप्रदेश के आदमगढ़ से पशुपालन का प्राचीनतम साक्ष्य मध्य पाषाण काल का मिला है।
- आदमगढ़ में फर्श निर्माण की कोशिश मिलती है।
- बागौर व लंघनाज के बीच संपर्क मिला है, पर व्यापार नवपाषाणकालीन क्रियाकलाप है अर्थात मध्य पाषाण काल में व्यापार के साक्ष्य नहीं मिले हैं।
- बागौर से तीन हड़प्पाई बाणाग्र मिला है।
- विश्व के वृक्षारोपण के प्राचीनतम साक्ष्य सांभर,राजस्थान, से मिले हैं।
- महदहा, उत्तर प्रदेश से युगल शवाधान के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं, गर्तचूल्हे की भी प्राप्ति हुई है।
- एक ही पंक्ति में तीन शवाधान के साक्ष्य सराय नाहर राय से प्राप्त हुए है।
- दमदमा से सर्वाधिक 41 मानव शवाधान भी प्राप्त हुए हैं।
- बागोर व लेखहिया से मध्यपाषाणकाल के बाद वाले समय का मृद्भांड प्राप्त होने शुरू होते हैं।
- भीमबेटका के चित्रें को 1928 में बी-एस- बाकनर या सकनर ने ढूंढा। भीमवेटका (मध्य प्रदेश) से मानव अंत्येष्टि का प्रमाण मिला।
- पुरा पाषाण काल की चित्रकारी में हरे व गहरे लाल रंग का प्रयोग होता था,
- मध्य पाषाण काल के चित्रें में उजला व पीला रंग का प्रयोग प्रारंभ।
मध्य पाषाण काल के स्थल
- चित्रकारी के साक्ष्य मिले हैं – पटणै (महाराष्ट्र), मच्छुताकी, चिंतामनुगामी (आंध्र प्रदेश ), मिर्जापुर से।
- मध्य पाषाणकालीन स्थल – बागौर, भीमबेटका, सांभर, आदमगढ़, सरायनाहर राय, महदहा, बघईखोर, लेखहिया, मोरहना पहाड़, जलाहल्ली, लंघनाज, बीरभानपुर, टेरी समूह व नागौर, नागार्जुनकोंडा, गिद्दलूर, रेनीगुंटा, संगनकल्लू।
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