पाषाण काल महत्वपूर्ण तथ्य: Important Facts of Stone Age

पाषाण काल

पाषाण काल | प्रागैतिहासिक काल महत्वपूर्ण तथ्य : Important Facts of Stone Age

इतिहास 

  • प्राचीन काल की सामाजिक,आर्थिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक घटनाओं की जानकारी देने वाले शास्त्र को इतिहास कहा जाता है।  
  • इतिहास अर्थात History शब्द का सर्वप्रथम उल्लेख ‘हेरोडोटस‘ ने किया था। रोमन दार्शनिक ‘सिसरो’ ने हेरोडोटस को ‘इतिहास का जनक‘ कहा है।
  • हेरोडोटस ने इतिहास पर पुस्तक हिस्टोरीका लिखी। 
  • इतिहास को विद्वानों ने कई रूपों में परिभाषित किया है जिसकी अपनी अपनी विशेषताएं एवं सीमाएं हैं। 
  • अध्ययन की सुविधा के लिए उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर इतिहास को तीन भागों में बांटा गया है- 
    1. प्राक इतिहास (Pre History)– इतिहास का कलखंड जिसका संबंध 20 लाख से 3000 ई 0 पू 0 से है तथा जिसके अध्ययन के लिए लिखित साक्ष्य का अभाव है। इसका अध्ययन पूर्णत: पुरा सामग्रियों पर आधारित है। इसके अंतर्गत पुरा पाषाण काल का अध्ययन किया जाता है। 
    2. आद्य इतिहास (Proto History)- इसका कालखंड 3000BC-600 BC माना जाता है। इतिहास के निर्माण के लिए साहित्यिक साक्ष्य एवं पुरातात्विक साक्ष्य दोनों की आवश्यकता होती है। आद्य इतिहास के अंतर्गत शामिल काल के लिए दोनों में से कोई एक साक्ष्य उपलब्ध है अथवा उपलब्ध साक्ष्यों को पढ़ा नहीं जा सका है। जैसे – वैदिक सभ्यता एवं हड़प्पा  सभ्यता। वैदिक सभ्यता के लिए सिर्फ साहित्यिक साक्ष्य उपलब्ध है तो हड़प्पा सभ्यता के लिए पुरातात्विक साक्ष्य ही महत्वपूर्ण है तथा उपलब्ध साहित्यिक साक्ष्य को पढ़ा नहीं जा सका है। 
    3. इतिहास (History) : (600 BC के बाद)-ऐसा कालखंड जिसके निर्धारण के लिए लिखित एवं पुरातात्विक दोनों साक्ष्य उपलब्ध हैं।  

पाषाण काल का परिचय

  • क्रिस्टियन जे. थॉमसन द्वारा पाषण काल शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किया गया 
  • प्रागैतिहासिक काल या पाषाण काल से अर्थ है इतिहास का वह खंड जिसके लिए लिखित सामग्री उपलब्ध न हो और उस काल के लोग लिखना भी न जानते हों अर्थात् लिपि के विकास से पूर्व का काल। भारत में पाषाण काल में ताम्रपाषाण काल को शामिल किया जाता है।
  • भारतीय प्रागैतिहास को उद्घाटित करने का श्रेय डॉ- प्रिमरोज नामक अंग्रेज वैज्ञानिक को है, 1842 में कर्नाटक के लिगसुगुर नामक स्थान पर किया।
  • भारतीय प्रागैतिहास का जनक राबर्ट ब्रूसफूट को कहा जाता है, इन्होंने 1863 ई- में मद्रास के पल्लवरम में एक पाषाण हस्तकुठार प्राप्त किया।
  • भारतीय पुरातत्व का जनक अलेक्जेंडर कनिंघम को कहा जाता है।

प्रागैतिहासिक काल:पाषाण काल

पाषाण काल का विभाजन 

पाषाण काल को सुविधा के लिए 1970 में ‘लारटेट’ ने पाषाण उपकरणों के प्रकार तथा तकनीकी विशेषताओं के आधार पर तीन  निम्न कालखंड में विभाजित किया- 

  1. पुरा पाषाण काल – 20 लाख -10,000 BC
  2. मध्य पाषाण काल -10,000-6,000 BC
  3. नव पाषाण काल- 6,000- 3,000 BC 

पाषाण काल

नोट:- उपरोक्त कालखंड का विभाजन सर्वस्वीकार्य नहीं हैं, भारत के अलग अलग  क्षेत्रों में इसका कालखंड अलग अलग रहा है। 

पाषाण कालीन प्रमुख स्थल 

स्मरणीय महत्वपूर्ण तथ्य 
भीमबेटका 

भोपाल के समीप स्थित इस पुराण पाषाण कालीन स्थल से अनेक चित्रित गुफाएँ, शैलाश्रय (चट्टानों से बने शरण स्थल) तथा अनेक प्रागैतिहासिक कलाकृतियाँ प्राप्त हुई हैं जिनका सम्बन्ध उत्तर पूरापाषाण युग, मध्‍यपाषाण युग और ताम्रपाषाण युग से है। इसकी खोज डॉ वी.ए. वाकणकर ने की थी. 

आदमगढ़ एवं बागोर

म.प्र. के आदमगढ़ एवं राजस्थान के बागोर नामक मध्य पाषाणिक पुरास्थल से पशुपालन के प्राचीनतम साक्ष्य मिले हैं जिसका समय लगभग 5000 ई.पू. माना जाता है।

बुर्जहोम एवं गुफ्फकराल

यह कश्मीर स्थित नवपाषाणिक पुरास्थल है जहाँ से गर्तावास, कृषि तथा पशुपालन के साक्ष्य मिले हैं।

चिराँदबिहार के सारण जिले में स्थित एकमात्र  नव पाषाणिक पुरास्थल है जहाँ से प्रचुर मात्रा में हड्डी के उपकरण मिले हैं 
पिक्कलीहल

कर्नाटक स्थित इस नवपाषाणिक पुरास्थल से शंख के ढेर और निवास स्थान दोनों पाये गये हैं।

मेहरगढ़

पाकिस्तान के बलूचिस्तान स्थित इस नव पाषाणिक पुरास्थल से कृषि के प्राचीनतम साक्ष्य एवं नव पाषाणिक प्राचीनतम बस्ती एवं कच्चे घरों के साक्ष्य मिले हैं।

 

 

पाषाण काल कब से कब तक था?

पाषाण काल 20 लाख से 3,000 BC तक माना जाता है.

पाषाण काल कितने प्रकार के होते हैं?

पाषाण काल को 1970 में ‘लारटेट’ ने पाषाण उपकरणों एवं तकनीकी विशेषताओं के आधार पर तीन वर्गों में बांटा है-
पुरा पाषाण काल – 20 लाख -10,000 BC
मध्य पाषाण काल -10,000-6,000 BC
नव पाषाण काल- 6,000- 3,000 BC 

भारतीय पुरातत्व का जनक किसे कहा जाता है?

भारतीय पुरातत्व का जनक अलेक्जेंडर कनिंघम को कहा जाता है।
 

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