विश्व की समाचार एजेंसियाँ : News agencies of world’s 30 important countries

विश्व की समाचार एजेंसियाँ

विश्व की समाचार एजेंसियाँ

विश्व में पत्रकारिता का इतिहास

माना जाता है कि विश्व में पत्रकारिता का आरंभ सन 131 ईस्वी पूर्व रोम में हुआ था, इसका  नाम – “Acta Diurna” (दिन की घटनाएं) थीं। वास्तव में यह पत्थर की या धातु की पट्टी होता था जिस पर समाचार अंकित होते थे जिसे रोम के मुख्य स्थानों पर रखी जाती थीं और इन के माध्यम से सूचनाएं दी जाती थीं।

मध्यकाल में कारोबार से संबंधित हाथ से लिखे समाचार पत्र का प्रचालन हो गया था, किन्तु इसका प्रसार बहुत ही सीमित था। 

15 वीं शताब्दी के मध्य में गूटनबर्ग ने छापने की मशीन का आविष्कार किया जिसके फलस्वरूप किताबों और अख़बारों का प्रकाशन संभव हुआ।

16वीं शताब्दी के अंत में, यूरोप के शहर स्त्रास्बुर्ग में, योहन कारोलूस धनवान ग्राहकों के लिये सूचना-पत्र लिखवा कर प्रकाशित करता था।

योहन कारोलूस ने छापे की मशीन ख़रीद कर 1605 में समाचार-पत्र छापने लगा जिसका नाम ‘रिलेशन’ था। ‘रिलेशन’ को वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ न्यूजपेपर्स के साथ-साथ कई लेखकों ने दुनिया के पहले अखबार के रूप में मान्यता दी है।

विश्व की समाचार एजेंसियाँ : प्रथम

विश्व की समाचार एजेंसीयों में फ्रेंच एजेंसी फ्रांस-प्रेस (एएफपी) (Agence France-Press (AFP)) दुनिया की सबसे पुरानी समाचार एजेंसी है।

इसे 1835 में पेरिस में एजेंस हवास (आज एक कंपनी) के रूप में ‘चार्ल्स लुईस हवास’ द्वारा शुरू किया गया था और इसके शुरुआती कर्मचारियों में से एक पॉल रॉयटर था।

1851 में ब्रिटेन की सबसे बड़ी न्यूज एजेंसी रायटर की स्थापना एक जर्मन पॉल रॉयटर ने की थी।

भारत की प्रथम समाचार एजेंसी

भारत में समाचार पत्र का विकास यूरोपियन प्रभाव का परिणाम था। यह बात उल्लेखनीय है कि भारत में रोम से पहले ही अपनी जनता तक शिलालेखों के माध्यम से जानकारी/सूचना देने का साक्ष्य मौर्य शासक अशोक का मिलता है।  किन्तु इसे समाचार प्रकाशन नहीं माना जाता बल्कि यह एक प्रकार राजाज्ञा अथवा सूचना थी।

फ्री प्रेस ऑफ़ इंडिया भारतीयों के अधिकार एवं प्रबंधन वाली प्रथम न्यूज एजेंसी थी जिसे 1925 में आरंभ किया गया। (इसकी स्थापना वर्ष के संबंध में विवाद है.)

भारत की पहली न्यूज एजेंसी 1905 में स्थापित एसोसिएटेड प्रेस ऑफ़ इंडिया थी जिसके मालिक एक अंग्रेज के. एम. श्रीवास्तव थे।

विश्व की प्रमुख समाचार एजेंसियाँ

देश    एजेंसीदेशएजेंसी
·  सं0रा0 अमेरीकाएसोशिएटेड प्रेस (AP)·  सं0रा0 अमेरीकायूनाइटेड प्रेस इंटरनेशनल (UPI)
·  रूसतास (TASS)·  मलेशियाबरनामा (BERNAMA)
·  इटलीअंसा (ANSA)·  इजराइलइतीम (ITIM)
·  फ्रांसए0एफ0पी0(AFP)·   कुवैतकूना (KUNA)
·  भारतप्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI)·  भारतयूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (UNI)
·  चीनसिन्हुआ (Xinhua)·  भारतयूनिवार्ता
·  जापानक्योडो (KYODO)·  इंडोनेशियाअंतारा (ANTARA)
·  जोर्डनबातरा (BATARA)·  बेल्जियमबेल्गा ( BELGA)
·  ईरानइरना (IRNA)·  मिस्रमेना (MENA)
·  अंगोलाएंगोप (ANGOP)·  रोमानियारोम प्रेस (ROM PRESS)
·  मैक्सिकोनोटीमैक्स (NOTIMEX)·  जापानजीजो (JIJI)
·  फिलीपीन्सवाफा (WAFA)·  पोलैण्डपाप (PAP)
·  दक्षिण अफ्रीकासापा (SAPA)·  बांग्लादेशबी0एस0एस (BSS)
·  पाकिस्तानयू0पी0पी0(UPP)·  जिंबाब्वेजियाना (ZIANA)
·  जर्मनीडी0पी0ए0(DPA)·  नाइजीरियानान (NAN)
·  आस्ट्रेलियाए0ए0पी0(AAP)·  रूसनोवोस्ती (NOVOSTI)
·  क्यूबाप्रेला (PRELA)·  स्वीडनसिप (SIP)
·  यूनाइटेड किंगडमरायटर (Reuters)·  मिस्रमेना (MENA)

 

भारत में सबसे पहले समाचार पत्र का प्रकाशन 1776 में ईस्ट इंडिया कंपनी के ब्रिटिश अधिकारी विलेम बॉल्ट्स द्वारा इंग्लिश में किया गया था जिसमे कंपनी एवं ब्रिटिश अधिकारियों के लिय समाचार होता था। 

भारत के पहले समाचार पत्र ‘बंगाल गजट’ की स्थापना जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने साल 1780 में की थी.

द इंडिया गजट, द कलकत्ता गजट, द मद्रास कूरियर (1785), और द बॉम्बे हेराल्ड (1789) जैसे अन्य समाचार पत्रों ने जल्द ही इसका अनुसरण किया।

1819 में भारतीय भाषा में पहला समाचार-पत्र ‘संवाद कौमुदी’ (बुद्धि का चांद)  बंगाली भाषा में प्रकाशित हुआ था। उस के प्रकाशक राजा राममोहन राय थे।

1826 में ‘उदंत मार्तंड’ नाम से हिंदी के प्रथम समाचार-पत्र का प्रकाशन प्रारंभ हुआ। यह साप्ताहिक पत्र 1827 तक चला और पैसे की कमी के कारण बंद हो गया।

1822 में स्थापित और गुजराती में छपा बॉम्बे समाचार, एशिया का सबसे पुराना समाचार पत्र है जो अभी भी प्रिंट में है।

1854 में हिंदी का पहला दैनिक ‘समाचार सुधा वर्षण’ श्यामसुन्दर सेन ने कलकता से निकला।इसके लेखों को आधार बनाकर 1857 के विद्रोह के दौरान राजद्रोह का मुकदमा ‘समाचार सुधावर्षण’ के विरुद्ध चलाया गया। 

बिहार में समाचार पत्र का विकास

Get TSI GS Posts !

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

Leave a Reply