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यूरोपियन कंपनियों का भारत आगमन / European companies visit India

यूरोपियन कंपनियों का भारत आगमन / European companies visit India

भारत में विदेशीयों का आगमन सदियों से होता रहा है किन्तु  व्यापारिक कंपनियों का भारत आगमन यूरोप की सामाजिक ,आर्थिक एवं राजनितिक विशिष्टताओं से सम्बद्ध थी . यूरोप मध्यकालीन युग से निकलकर आधुनिक युग में कदम रख चूका था तो वहीँ भारतीय व्यवस्था मध्ययुगीन सामंती व्यवस्था में था. भारत में विभिन्न देशों के कंपनियों का अलग – अलग समय में आगमन हुआ तथा भारत की व्यवस्था की कमियों का फायदा उठाकर सम्राज्य विस्तार में सम्मलित हो गई जिससे देश में कई संघर्षों का उद्भव हुआ|

–              भारत में सबसे पहले आधुनिक यूरोप के व्यापार तथा नवीन रास्तों की खोज का श्रेय पुर्तगालियों को जाता है।

–              भारत में यूरोपियों के आगमन का क्रम निम्न है- पुर्तगाली (सबसे पहले)- डच-अंग्रेज-डेन-फ्रांसीसी-फ्रलेण्डर्स

पुर्तगाली ईस्ट इंडिया कम्पनी

–              भारत में सबसे पहले पुर्तगाली कम्पनियों का व्यापार के लिए आगमन हुआ।

–              1487 में बार्यो लोम्यु डियाज द्वारा केप ऑफ गुड होप की खोज की गयी थी।

–              1498 में पुर्तगाली शासक इमैनुअल के संरक्षण में वास्कोडिगामा बार्थोलोम्यु डियाज के मार्ग का अनुसरण करके मोजाम्बिक पहुंचा और वहां से ‘अब्दुल मजीद’ नामक गुजराती व्यापारी की सहायता से मई 1498 में भारत के पश्चिमी तट पर स्थित कालीकट बन्दरगाह के ‘कुप्पकडाबू’ नामक स्थान पर पहुचा।

–              कालीकट के हिन्दू राजा कृष्ण जमोरिन ने वास्कोडिगामा का स्वागत किया।

–              1502 में वास्कोडिगामा ने पुनः भारत की यात्र की थी।

–              वास्कोडिगामा के बाद ‘पेट्रो अल्तरेज केबराल’ मार्च 1500 में भारत आया था।

–              1503 में अल्बुकर्क ने कोचीन में पहली फैक्ट्री बनाया।

–              1505 में फ्रांसिस्कों द अल्मेडा भारत में प्रथम पुर्तगाली गवर्नर बनकर आया।

–              अल्मेडा ने ‘ब्लू वाटर पालिसी’ (समुद्र शक्ति) पर जोर दिया।

–              1508 में अल्मेडा को गुजरात के शासक महमूद बेगड़ा की संयुक्त सेना (तुर्की एवं मिस्र की सेना के साथ) ने चौल नामक स्थान पर पराजित किया।

–              1509 में अल्मेडा ने दीव पर अधिकार कर लिया।

–              1509 में अल्फांसो डी अल्बुकर्क (1509-15) भारत में अल्मेडा के स्थान पर गवर्नर बना।

–              अल्बुकर्क को भारत में पुर्तगाली शक्ति का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।

–              अलबुकर्क ने भारत में कोचीन को अपना मुख्यालय बनाया।

–              1510 में अलबुकर्क ने बीजापुर के शासक युसुफ आदिलशाह से गोवा छीन लिया।

–              1511 में अलबुकर्क ने फारस की खाड़ी के द्वीप ‘होर्मुज’ पर अधिकार कर लिया।

–              अलबुकर्क ने विजयनगर के राजा कृष्ण देव राय से मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किये थे।

–              अलबुकर्क ने कृष्णदेवराय के दरबार में फादर लुई को भेजा था।

–              नीनो-डी-कुन्हा 1529 में भारत में पुर्तगाल का गवर्नर बना।

–              नीनो-डी-कुन्हा ने कोचीन के स्थान पर गोवा को अपनी राजधानी (1530) बनाया।

–              नीनो-डी-कुन्हा ने मद्रास में सेंट थोमे, बंगाल में हुगली (अकबर की अनुमति से) में पुर्तगाली फैक्ट्रियां स्थापित की।

–              नीनो-डी-कुन्हा ने बसीन के विषय में समझौते को लेकर गुजरात के शासक बहादुरशाह की हत्या करवा दी।

–              1573 में मुगल बादशाह अकबर अपने गुजरात अभियान के दौरान पुर्तगाली गवर्नर एटानियो-द-नोरोन्हा से मिला था।

–              ईसाई संत सेंट फ्रांसिस जेवियर पुर्तगाली गवर्नर मार्टीन फ्रांसिस के साथ 1542 में भारत आया।

–              पुर्तगालियों ने अकबर की अनुमति से हुगली और शाहजहां की अनुमति से बंदेल में फैक्ट्री स्थापित की।

डच ईस्ट इंडिया कम्पनी

–               1605 में मसूलीपत्तनम में पहली बार डच फैक्ट्री की स्थापना की गई।

–              1602 में कंपनी ऑफ नीदरलैंड्स की स्थापना हुई।

–              देवपत्तनम डचों के अधिकार में था, अंग्रेजों के अधीन यह सेंट फोर्ट बन गया।

–              पुलीकट से डच अपने स्वर्ण सिक्के ढालते थे।

–              1616 में सूरत में डच फैक्ट्री की स्थापना हुई।

–              1627 में बंगाल में प्रथमतः पिपली में फैक्ट्री, बाद में बालासोर पर ध्यान परंतु 1653 में चिनसुरा बनने के बाद वही प्रधान बना ।

–              1623 में डचों द्वारा अंबोयना में अंग्रेजों की हत्या।

अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी

–               1600 में स्थापित होने वाली ब्रिटिश कंपनी की एकाधिकारिता 1609 में जेम्स प्रथम ने कंपनी अनिश्चितकालीन कर दी।

–                कैप्टन हाकिंस हेक्टर जहाज से 1608 में सूरत बंदरगाह पर पहुंचा।

–                1608 में सूरत में पहली अंग्रेज फैक्ट्री स्थापित।

–                दक्षिण भारत में प्रथमतः 1611 में मसूलीपतनम में कारखाना स्थापित।

–               पूर्वीतट पर 1633 में बालासोर तथा हरिपुरा पहली फैक्ट्री।

–                1651 में बंगाल सूबेदार शाहशुजा से 3000 के बदले व्यापार का अधिकार।

–                1708 में अर्ल ऑफ गाडविन के हस्तक्षेप से तीन कंपनियां एक हुईं।

–                1833 में संक्षिप्त नाम ईस्ट इंडिया किया गया।

डेनिस ईस्ट इंडिया कम्पनी

–              डेनमार्क कंपनी की स्थापना 1616 में हुई।

–               1620 में ट्रैंकोबार व 1676 में सिरामपुर में कंपनी स्थापित।

–               1845 में सारा अंग्रेजों को बेचकर पलायन।

फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी

–               1668 में सूरत में प्रथम फ्रांसीसी फैक्ट्री स्थापित।

–                1669 में मसूलीपटनम में दूसरी फैक्ट्री।

–                1701 में पांडिचेरी मुख्यालय बन गया।

 

कंपनी क्रम – पुर्तगाली – ब्रिटिश – डच – डेन – फ्रांसीसी – स्वीडिश

 

भारत आगमन क्रम – पुर्तगाली – डच – ब्रिटिश – डेन – फ्रांसीसी