बिहार में कृषि अर्थव्यवस्था का आधार है, प्रदेश की एक बड़ी आबादी अपनी जीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। इस पोस्ट में बिहार आर्थिक सर्वेक्षण-2021 में वर्णित बिहार में कृषि की स्थिति से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों का संकलन किया गया है जिससे प्रश्न BPSC PT, SSC, BIHAR SI आदि में पूछे जा सकते हैं।
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बिहार में कृषि
बिहार में कृषि: एक अवलोकन
सकल राज्य घरेलू उत्पाद पर नई शृंखला के आंकड़ों के अनुसार 2018-19 में स्थिर मूल्य पर बिहार की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 10.53% और वर्तमान मूल्य पर 15.01% थी।
बिहार की अर्थव्यवस्था की प्रकृति मिश्रित अर्थव्यवस्था की है। बिहार की सकल राज्य मूल्यवर्धन (जीएसवीए) घरेलू उत्पाद में प्राथमिक क्षेत्र, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र की भूमिका क्रमश: 21.3%, 19.7% एवं 59 % है।
पेट्रोल की खपत के आधार पर पटना, मुजफ्फरपुर और गोपालगंज अपेक्षाकृत समृद्ध जिलें हैं। प्रति व्यक्ति लघु बचत के आधार पर तीन सबसे समृद्ध जिले हैं पटना, सारण एवं बक्सर ।
वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाट सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 2.68% एवं सरकार की लोक संबंधी ऋण देनदारी सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 32.34 % के बराबर थी।
बिहार में देश की लगभग 8.6 % आबादी रहती है जबकि देश का 3.8% कृषि भूमि ही यहाँ मौजूद हैं तथा 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार देश का सबसे अधिक जन घनत्व वाला राज्य है, यहाँ का जनघनत्व 1106 जबकि देश का जन घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है।
राज्य के सकल मूल्यवर्धन मे कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्रों का हिस्सा 2017-18 मे 21% था जबकि फसल का हिस्सा 12.1% था।
लगभग 6,764.14 वर्ग कि. मी. क्षेत्र में वन फैले हैं जो राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 7.1 प्रतिशत हैं।
बिहार का कुल भौगोलिक क्षेत्र लगभग 93.60 लाख हेक्टेयर है जिसमें से केवल 52.42 लाख हेक्टेयर (कुल क्षेत्रफल के 56%) पर ही खेती होती है जबकि राज्य में लगभग 79.46 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है।
बिहार में भूमि उपयोग निम्न हैं-
वन भूमि- 6.6 %
पेड़-बागान – 2.6%
स्थाई चारागाह- 0.2%
अकृष्य भूमि – 44.0 %
परती भूमि- – 11.1%
सर्वाधिक बुआई क्षेत्र 2.83 लाख हे० पूर्वी चंपारण मे है तथा सबसे कम 0.23 लाख हे ० शिवहर में है।
विभिन्न साधनों द्वारा कुल 43.86 लाख हेक्टेयर भूमि पर ही सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध हैं जबकि लगभग 33.51 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है।
बिहार में सिंचाई के साधन एवं उनका योगदान-
नहर- 63%
तलब-31%
नलकूप- 2%
अन्य कूप-1%
अन्य स्रोत-3%
2015-16 में बिहार में जोत का औसत आकार 0.39 हे ० था, यही अद्यतन आंकड़ा है।
बिहार मे 2 हे ० से कम आकार वाली लघु एवं सीमांत जोतों का हिस्सा लगभग 97% था।
बिहार में कृषि: उत्पादन
वर्ष 2018-19 में अनाजों का उत्पादन 158.58 लाख टन है। अनाजों मे से चावल और गेहूं का कुल शस्य क्षेत्र में 70% से अधिक हिस्सा था।
वर्ष 2018-19 में बिहार में खाद्यानों का उत्पादन 163.12 लाख टन था।
भारत सरकार द्वारा 2020 को मक्का और गेहूं के उत्पादन और उत्पादकता के लिए राज्य को कृषि कर्मण पुरस्कार प्रदान किया गया है।
बिहार को वर्ष 2013 में चावल उत्पादन के लिए और वर्ष 2016 में मक्का उत्पादन के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार दिया गया हैं।
बिहार में मुख्य रूप से चावल, गेहूं और मक्का जैसी प्रमुख फसलें तथा फल सब्जियां खरीफ (जून से फरवरी), रबी (अकतूबर से मार्च ) और जायद (अप्रैल से जून), तीनों कृषि मौसमों में उगाई जाती है।
बिहार की प्रमुख खाद्य फ़सलें हैं- धान, गेहूँ, मक्का और दालें।
मुख्य नकदी फ़सलें हैं- गन्ना, आलू, तंबाकू, तिलहन, प्याज, मिर्च, पटसन।
बिहार में फसल पैटर्न
बिहार की कृषि अर्थव्यवस्था जीवन निवार्ह की ओर काफी अधिक झुकी हुई है तथा कृषि उत्पादों में खाद्यान की प्रमुखता है।
बिहार में विभिन्न फसलों के अंतर्गत क्षेत्रफल का प्रतिशत निम्न हैं-
खाद्यान्न – 93.47
अनाज – 86.57
दलहन – 6.90
तिलहन – 1.52
रेशेदार फसलें – 1.66
ईख – 3.35
बिहार में अनाजों का उत्पादन 2017-18 में 143.21 लाख टन था जो 4.21% बढ़कर 2018-19 में 158.58 लाख टन हो गया।
अनाजों के उत्पादन में वृद्धि में गेहूं एवं मक्का के उत्पादकता में वृद्धि का विशेष महत्व है।
गेहूं का उत्पादन 2014-15 में 35.70 लाख टन था जो 2018-19 में बढ़कर 64.66 लाख टन हो गया, मक्का का उत्पादन इसी अवधि में 24.79 लाख टन से 31.94 लाख टन पहुँच गया।
चावल का उत्पादन 2014-15 में 82.42 लाख टन था जो 2018-19 में घटकर 61.56 टन रह गया। चावल की उत्पादकता में भी 3.6% की दर से गिरावट आई है।
जीरो टिलेज विधि और श्री विधि के माध्यम से चावल का उत्पादन बढ़ाने का प्रयास किया गया है।
दलहन का उत्पादन 2018-19 में 4.53 लाख टन हो गया।
तिलहन का उत्पादन थोड़ा घटा है -2014-15 के 1.27 लाख टन से 2018-19 में 1.25 लाख टन रह गया।
वर्ष 2018 -19 में उत्पादन की दृष्टि से बिहार की सर्वाधिक महत्वपूर्ण फसल चावल है। उसके पश्चात गेहूं एवं तृतीय स्थान पर मक्का है।
चावल का उत्पादन वर्ष 2018-19 में 61.55 लाख टन रहा जो पिछले वर्ष, 2017-18 में हुए उत्पादन 80.93 लाख टन से 19.38 लाख टन कम है। अर्थात चावल उत्पादन में 4.02% की कमी हुई।
बिहार को वर्ष 2013 में चावल उत्पादन के लिए और वर्ष 2016 में मक्का उत्पादन के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार दिया गया हैं।
चावल के उत्पादन में वृद्धि राज्य सरकार द्वारा श्री विधि (चावल सघनीकरण प्रणाली) और जीरो टिलेज विधि के जरिए प्रौद्योगिकीय प्रगति के लिए किए गए प्रयासों के कारण हुई है।
बिहार में चावल की तीन फसलें – बोड़ो, अगहनी और गरमा उत्पादित की जाती हैं।
मुख्य फसलों के उत्पादन एव उत्पादकता के आधार पर जिलों का वर्गीकरण:
बिहार के प्रमुख कृषि प्रदेश एवं प्रमुख फसल
उत्तर-पूर्वी – धान, जूट
उत्तर-पश्चिमी – धान, गन्ना
उत्तर-मध्यवर्ती – धान, मक्का, गेहूं
दक्षिण-पश्चिमी – धान, गन्ना, गेहूं
दक्षिणी-पूर्वी – धान, मक्का, गेहूं, गन्ना
सब्जी
आलू – पटना, नालंदा, वैशाली
आलू की सर्वाधिक 29.2 टन प्रति हे ० उत्पादकता वैशाली जिले दर्ज हुई।
प्याज – नालंदा, कटिहार, मुजफ्फरपुर
गोभी – वैशाली, नालंदा, मुजफ्फरपुर
ईख
राज्य में सकल कृषि भूमि लगभग 76.73 लाख हेक्टेयर है जिसमें से 3 लाख हेक्टेयर पर ईख की खेती होती है।
बिहार में ईख के कुल उत्पादन में पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण और गोपालगंज का संयुक्त हिस्सा 77.7 प्रतिशत है।
ईख की सर्वाधिक उत्पादकता 84.77 टन प्रति हे० पटना में टो सबसे कम उत्पादकता 46.14 टन प्रति हे ० भागलपुर जिले एन रहा।
राज्य के कुल ईख उत्पादन में पश्चिम चंपारण जिले का लगभग 58.3% हिस्सा है।
बिहार में कृषि : बागवानी
दरभंगा जिला बिहार में आम का मुख्य उत्पादक है।
तीन शीर्ष आम उत्पादक जिले – दरभंगा, पूर्वी चंपारण और मुजफ्फरपुर हैं।
मुजफ्फरपुर लीची और केला का मुख्य उत्पादक है।
नालंदा जिला अमरूद का मुख्य उत्पादक है।
लीची उत्पादन मे शीर्ष जिला- मुजफ्फरपुर है।
कटिहार, वैशाली और मुजफ्फरपुर का राज्य के कुल केला उत्पादन में संयुक्त रूप से लगभग 33% हिस्सा है।
बिहार में मत्स्य
बिहार में 2018-19 में कृषि क्षेत्र के सकल मूल्यवर्धन में पशुधन और जलकृषि का संयुक्त रूप से 7.10 % हिस्सा था।
मछली उत्पादन में शीर्ष जिले मधुबनी, दरभंगा और पूर्वी चंपारण हैं।