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बिहार की नदियां – महत्वपूर्ण तथ्य : Bihar ki nadiyan- Important facts

बिहार का अपवाह तन्त्र

बिहार का अपवाह तंत्र

बिहार की नदियां ( Bihar ki nadiyan) : बिहार का अपवाह तन्त्र, अपवाह बेसिन से होकर बहने वाली नदी, धाराएँ एवं झील से मिलकर बना है , इसे नदी तंत्र भी कहा जाता है। एक अपवाह बेसिन एक भू क्षेत्र होता है जहाँ वर्षा का पानी विभिन्न धाराओं के माध्यम से एक समान निकास प्रणाली द्वारा भूमि के ढाल के अनुरूप प्रवाहित होती है. यह समान निकास प्रणाली एक नदी होती है, 

बिहार की नदियां हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र एवं प्रायद्वीपीय क्षेत्र से निकल कर बिहार के क्षेत्र में प्रवाहित होती हैं। हिमालय से निकलने वाली नदियों में से गंगा बिहार के लगभग मध्य से गुजरती है जिसके उत्तर की नदियों का उद्गम स्रोत हिमालय है जबकि गंगा के दक्षिण की ओर से प्रवाहित होने वाली नदियों का उद्गम स्रोत प्रायद्वीप का पठार या छोटानागपुर का पठार है. 

बिहार की नदियां अपने साथ अवसाद लेकर आती हैं जो बाढ़ के दौरान बिहार के मैदान में जमा करती है जिससे मृदा की उर्वरा शक्ति बनी रहती है। उत्तर बिहार की नदियां प्रत्येक वर्ष बिहार में बाढ़ का कारण बनती हैं.

बिहार की नदियां / Bihar ki nadiyan

  • गंगा नदी बिहार में बक्सर जिले में चौसा  के समीप प्रवेश करती है
  • गंगा नदी में उत्तर दिशा से घाघरा, गंडक, बागमती, कमला बलान,   कोसी, महानंदा, बूढ़ी-गंडक आदि नदियां  मिलती हैं तथा दक्षिण की दिशा से कर्मनासा, सोन, पुनपुन, हरोहर, फल्गु, संकरी, किऊल आदि नदियां मिलती हैं।
  • सरयू नदी को घाघरा या घग्घड़ भी कहा जाता है। यह नदी बिहार में सारण के समीप उत्तर प्रदेश तथा बिहार की सीमा रेखा बनाती है। इसका उद्गम स्रोत नाम्पा (नेपाल) में है। छपरा के निकट यह गंगा में समाहित हो जाती है।
  • गंडक नदी का उद्गम स्रोत मध्य हिमालय में नेपाल की उत्तरी सीमा एवं तिब्बत में  अन्नपूर्णा पहाड़ियों के समीप मानगमोट एवं कुतांग के समीप है। पूरे वर्ष जल से भरी होने के कारण ‘सदानीरा’ के नाम से प्रख्यात यह नदी नेपाल में ‘सप्तगंडकी’ के नाम से जानी जाती है। यह अपनी सात सहायक  नदियों के साथ प्रवाहित होती हुई वाल्मीकि नगर के समीप बिहार में प्रवेश करती है तथा पटना के निकट गंगा में मिल जाती है।
  • बुढ़ी गंडक का उद्गम स्रोत सोमेश्वर की पहाड़ियां हैं। यह बिहार के उत्तरी-पश्चिमी जिले चम्पारण में प्रवेश करती है। यह उत्तर बिहार की सबसे तेज जलधारा वाली  नदी है, जिसका बहाव उत्तर-पश्चिम से  दक्षिण-पूर्व की ओर है।
  • बागमती नदी नेपाल के महाभारत श्रेणी से निकलकर बिहार में प्रवेश करती है। बाढ़ के दिनों में अपना प्रवाह मार्ग बदल लेने वाली यह नदी मुजफ्फरपुर, दरभंगा तथा मधुबनी जिलों में काफी क्षति पहुंचाती है। इसकी  प्रमुख सहायक नदियों में हैं- लालबकिया तथा लखनदेई
  • कोसी नदी का उद्गम स्थल हिमालय  पर्वत में गोसाईधाम है तथा इसका वास्तविक नाम कौशिकी है। ‘बिहार का शोक’ के नाम से प्रसिद्ध यह नदी खगड़िया के समीप कुरसेला में गंगा में मिल जाती है। गंगा में मिलने से पूर्व यह नदी स्वयं अपना डेल्टा बनाती है।
  • महानंदा नदी उत्तरी बिहार के मैदान की सबसे पूर्वी नदी है जो हिमालय से निकलती है तथा कटिहार के समीप गंगा में मिल जाती है।
  • सोन नदी का उद्गम स्रोत मध्य प्रदेश में अमरकंटक है। यह पहले उत्तर की ओर,  फिर उत्तर-पूर्व की ओर तथा फिर पूर्व की ओर बहती हुई पटना के पहले दानापुर के समीप गंगा में मिल जाती है। सोन दक्षिण से आकार गंगा में मिलने वाली सबसे प्रमुख नदी है।
  • पुनपुन नदी मध्य प्रदेश के पठारी भाग से निकलती है। यह उत्तर-पूर्वी दिशा में बहती हुई औरंगाबाद जिले से होकर पटना जिले के फतुहा के समीप गंगा में मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं-मनोहर एवं दरघा।
  • कर्मनासा नदी विंध्याचल की पहाड़ियों से निकलती है तथा अपने प्रवाह मार्ग से लम्बी दूरी तक उत्तर प्रदेश एवं बिहार राज्यों के  बीच सीमा रेखा बनाती है। अंत में यह बक्सर जिले में चौसा के समीप गंगा में मिल जाती है।
  • बिहार की नदियों की सामान्य प्रणाली पदापाकार है।

बिहार की नदियां- एक अवलोकन

नदी उद्गम स्थल संगम/मुहाना विशेषताएँ बिहार में  लंबाई (km)
गंगा गंगोत्री (उत्तराखंड) के गोमुख से बंगाल की खाड़ी
  • तट पर बसे नगर – पटना, बक्सर, मोकामा, भागलपुर, मुंगेर
  • भोजपुर और सारण जिलों के बीच सीमा बनाते हुए बिहार में प्रवेश।
445
घाघरा नाम्पा (नेपाल) गंगा (छपरा)
  • सीवान के समीप बिहार में प्रवेश
  • बिहार एवं उत्तरप्रदेश की सीमा का निर्धारण
83
गंडक मानगमोट और कुतांग गंगा (पटना/ हाजीपुर)
  • नेपाल में सप्तगण्डकी के नाम से प्रसिद्ध।
  • अन्य नाम-काली गंडक, नारायण गंडकी, नारायणी, शालग्रामी
  • तट पर बसे नगर- हाजीपुर, सोनपुर, मुजफ्फरपुर
260
बूढ़ी गंडक सोमेश्वर की पहाड़ियां गंगा (मुंगेर)
  • तट पर बसे नगर- मुजफ्फरपुर, दरभंगा
  • सहायक नदियाँ- बाणगंगा, मसान, उरई, हरहा आदि
320
बागमती महाभारत श्रेणी (नेपाल) कोसी (खगड़िया)
  • बाढ़ के दिनों में मार्ग परिवर्तन
394
कमला महाभारत श्रेणी (नेपाल) बागमती   
  • मुख्य सहायक नदियां- शौरी, ढोरी, बलान।
  • मधुबनी जिले में बेग्राहा के पास भारत में प्रवेश
120
कोसी सप्तकोसी (नेपाल) गंगा (कुरसेला)
  • भारतीय सीमा में हनुमान नगर में प्रवेश करती है।
  • ‘बिहार को शोक’ कहा जाता है।
  • मार्ग परिवर्तन के लिए कुख्यात।
260
महानन्दा महाभारत श्रेणी (नेपाल) गंगा (कटिहार)
  • स्थानीय रूप से फुलहर नदी कहा जाता है।
376
कर्मनासा विंध्याचल की पहाड़ियां गंगा ( चौसा )
  • उत्तर प्रदेश एवं बिहार के बीच सीमा बनाती है।
  • इसे अशुभ/अपवित्र नदी माना जाता है।
76
उत्तरी कोयल रांची के पठार (झारखंड) सोन    
दक्षिण कोयल छोटानागपुर का पठार (झारखंड) गंगा    
अजय बटपाड़ (जमुई) गंगा (कटवा, प. बंगाल)
  • तट पर बसे नगर-जमुई, लखीसराय, किउल
पुनपुन पलामू गंगा (फतुहा) 235
सोन अमरकंटक दानापुर / पटना
  • सहायक नदियां – जोहिला, गोपद, रिहंद, कन्हार, उत्तरी कोयल आदि।
फल्गु /निरंजना उत्तरी छोटानागपुर के पठार गंगा   
  • हिमाचल के गोसाई थान से कंचनजंघा की गगनचुम्बी श्रेणियों से कोसी की सात धाराएं निकलती हैं, जिनके नाम हैं-सुन कोसी, भोटिया कोसी, तम्बा कोसी, दूध कोसी, वारूद (लिखु) कोसी, अरूण कोसी एवं तामूल कोसी। मीलों चलने के बाद ये सात धाराएं नेपाल में चतरा के निकट संगम करती हैं एवं वहां से आगे सप्तकोसी (महाकोसी) का रूप धारण कर भीमनगर (नेपाल) के पास भारत में प्रवेश करती है तथा बिहार के सहरसा, पूर्णिया एवं मधेपुरा जिलों से प्रवाहित होती हुई कुरसेला के पास गंगा में मिलती है।

बिहार में जलप्रपात

  • मुख्यतः गया, रोहतास एवं नवादा जिलों में जलप्रपात मिलते हैं। नवादा जिले में काकोलत जलप्रपात है। इसके अतिरिक्त कैमूर जिले में दुर्गावती जलप्रपात है जो खादरकोह में गिरता है।

बिहार में झीलबिहार का अपवाह तन्त्र

  • बिहार में अधिकतर कुबेड़नुमा (Oxbow) झीलों का निर्माण उत्तर बिहार की प्रमुख नदियों जैसे बूढ़ी गंडक, कोसी तथा महानंदा नदियों के पथ परिवर्तन के कारण हुआ है।
  • इन झीलों को उत्तर बिहार में ताल, चौर, मन आदि भी कहते हैं। बिहार में अधिकतर झील गंगा नदी के उत्तर, गंडक नदी के पश्चिम तथा महानंदा नदी के पूर्व में स्थित है।
  • राज्य के प्रमुख झील हैं- कवार झील या कबार ताल, मंझाउल, बेगूसराय; कुशेश्वर स्थान झील, कुशेश्वर, दरभंगा; घोघा झील अथवा घोघा चाप, मनिहारी, कटिहार; सिमरी बख्तियारपुर झील, सहरसा
  • बेगुसराय स्थित कावर झील को रामसर साइट में शामिल कर अंतर्राष्ट्रीय महत्व का वेटलैंड घोषित कर दिया गया है। काबर बिहार का पहला और भारत का 39 वां रामसर साइट होगा। इस झील को पक्षी विहार का दर्जा 1987 में बिहार सरकार ने दिया था। उल्लेखनीय है कि 2002 से पहले तक कावर क्षील भी रामसर संधि के तहत शामिल था। अब पुन: 18 वर्षों के बाद इसे शामिल किया गया है.

बिहार में प्रमुख जलकुण्ड बिहार का अपवाह तन्त्र

  • मुंगेर जिला में- सीताकुण्ड, रामेश्वरकुण्ड, ऋषिकुण्ड, लक्ष्मीश्वरकुण्ड, भीमबांध, लक्ष्मणकुण्ड, भरारीकुण्ड, जन्मकुण्ड, पंचतर।
  • गया जिला में- अग्निकुण्ड।
  • राजगीर, नालंदा जिले में-सप्तधारा, ब्रह्मकुण्ड, सूर्यकुण्ड, मखदूभकुण्ड, नानककुण्ड, गोमुखकुण्ड।

 

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