बिहार की जलवायु (Climate of Bihar)
बिहार की जलवायु उष्ण मानसूनी है। बिहार की जलवायु न तो तटीय राज्यों की तरह आर्द्र है और न ही पश्चिमी राज्यों के समान शुष्क है बल्कि दोनों के बीच की है। बिहार की जलवायु में प्रादेशिक विषमतायें मिलती हैं। इसके पूर्वी भाग में अपेक्षाकृत आर्द्र जलवायु मिलती है, किन्तु पश्चिमी भाग शुष्क जलवायु से प्रभावित रहता है।
बिहार की जलवायु पर निम्न कारकों का प्रभाव पड़ता है:-
- स्थिति:-कर्क रेखा के उत्तर में अवस्थित होने के कारण बिहार में उपोष्ण कटिबंध का प्रभाव रहता है। इस कटिबंध में पर्याप्त सूर्यताप मिलता है जो वनस्पति के विकास के लिए सहायक है।
- उच्चावच:- बिहार उत्तर में हिमालय पर्वतश्रेणी और दक्षिण में छोटानागपुर के पठार से घिरा हुआ है। हिमालय के पर्वतपदीय भाग तथा तराई क्षेत्र में तापमान अपेक्षाकृत कम रहता है तथा वर्षा अधिक होती है जबकि मैदानी भाग में तापमान अपेक्षाकृत अधिक रहता है तथा पश्चिम की ओर वर्षा कम होती है।
- वायुदाब:- ग्रीष्मकाल में पश्चिमोत्तर भारत के मैदान में निम्न वायुदाब केंद्र का विकास होता है जिसके कारण बंगाल की खाड़ी पर स्थित उच्चदाब केंद्र से हवाएँ बिहार के मैदान में पूर्व से पश्चिम की ओर चलती है एवं वर्षा करती है।
बिहार की जलवायु:विशेषता
- बिहार की जलवायु मानसूनी जलवायु है जिसे संशोधित उपोष्ण कटिबन्धीय जलवायु भी कहते हैं।
- बिहार की जलवायु में महाद्वीपीय लक्षण अधिक पाए जाते हैं, किन्तु पर्याप्त नमी के कारण इसको संशोधित महाद्वीपीय प्रकृति का कहा जा सकता है।
- बिहार के पूर्वी भाग में आर्द्र तथा पश्चिमी भाग में अर्द्धशुष्क जलवायु पायी जाती है।
- कोपेन के जलवायु वर्गीकरण के अनुसार बिहार का अधिकांश भाग Cwg तथा Aw विभाग में, थार्नवाट के अनुसार CA’w टिवार्था के अनुसार Caw व Aw विभाग में आता है।
- बिहार में नार्वेस्टर या चक्रवाती तूफान मई-जून के महीने में आता है, जिससे पूर्वी बिहार में अधिक वर्षा होती है। इसे ‘काल वैशाखी’ भी कहते हैं।
- बिहार में मानसून मध्य जून में आता है। दिसम्बर और जनवरी में चक्रवातीय तूफानों द्वारा झंझावातीय वर्षा होती है।
- यहां वर्षा का औसत 125 सेमी. है। सर्वाधिक वर्षा (160 से 200 सेमी.) उत्तर-पूर्वी भाग के किशनगंज जिले में होती है।
- गया जिला बिहार का सबसे गर्म स्थान है।
- जनवरी माह बिहार का सर्वाधिक ठंड वाला माह है। इन दिनों मैदानी भागों में तापमान 7.50 से 10.50 रहता है।
- बिहार में वर्ष में निम्नलिखित तीन प्रमुख मौसम पाए जाते हैं-
- ग्रीष्म ऋतु (मार्च से मध्य जून तक):- मार्च के बाद जब सूर्य उत्तरायण होने लगता है तो बिहार में भी तापमान में वृद्धि होने लगता है तथा वायुदाब कम होने लगता है। मई महीने में तापमान सर्वाधिक रहता है। गया सबसे गर्म जिला होता है। बिहार के पूर्वी एवं उत्तरी पूर्वी भाग में तापमान अपेक्षाकृत कम रहता है क्योंकि यह क्षेत्र चक्र्वातीय तूफान एवं वर्षा से प्रभावित होता है। बिहार के पश्चिमी और मध्यवर्ती भागों में मई के महीनों में ‘लू’ नामक गर्म हवाएं चलती है। ग्रीष्म काल में बिहार के पूर्वी भागों में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के कारण वर्षा होती है जिसे नार्वेस्टर, काल बैशाखी या आम्रझाड़ी कहते हैं।
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- वर्षा ऋतु (मध्य जून से मध्य अक्टूबर तक):- सामान्यत: 7 जून तक बिहार में मानसून का प्रवेश हो जाता है । कभी कभी मानसून का आगमन समय से पहले या समय के बाद होता है। बिहार में दक्षिण पश्चिमी मानसून की बंगाल की खाड़ी की शाखा के द्वारा वर्षा होती है। ये मानसूनी हवाएं ज्यों-ज्यों पश्चिम की ओर बढती हैं वर्षा करने की इनकी क्षमता घटती जाती है, यही कारण है कि बिहार के पूर्वी भाग की तुलना में पश्चिमी भाग में वर्षा कम होती है। सम्पूर्ण बिहार में वर्षा की मात्रा एक सामान नहीं रहता है जिसके कारण बिहार का उत्तरी भाग बाढ़ से एवं दक्षिणी बिहार सूखा से प्रभावित रहता है। भोजपुर का मैदान, मगध का मैदान, सारण का मैदान, वैशाली, बेगुसराय, मुंगेर आदि क्षेत्र सूखाग्रस्त रहता है।
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- शीत ऋतु (नवम्बर से फरवरी तक):- मानसून के लौटने के साथ ही बिहार में शीत ऋतु का आगमन होता है। दिसम्बर एवं जनवरी के महीने में बिहार में होने वाली हल्की वर्षा का मूल कारण भूमध्य सागर से आनेवाली शीतोष्ण चक्रवात है। इसका प्रभाव बिहार के पूर्वी बिहार पर नहीं पड़ता है।
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