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बिहार का भूगोल (Geography of Bihar)
बिहार का भूगोल खंड से बिहार आधारित प्रतियोगिता परीक्षा जैसे BPSC, Bihar SI, Bihar SSC एवं अन्य परीक्षा में 5 से 10 प्रश्न पूछे जाते हैं.
बिहार का भूगोल : बिहार की भौगोलिक स्थिति एवं संरचना
- वर्तमान बिहार राज्य 24020‘10‘‘ उत्तरी अक्षांश से 27031‘15‘‘ उत्तरी अक्षांश तथा 83019‘50‘‘ पूर्वी देशांतर से 88017‘40‘‘ पूर्वी देशांतर तक उत्तर भारत में निम्न एवं मध्य गंगा बेसिन में स्थित है।
- इसका कुल क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किमी. है जो भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग 2.86% है। इस दृष्टि से बिहार का देश में 12वां स्थान है।
- उत्तर से दक्षिण तक इसकी अधिकतम लम्बाई 345 किमी. तथा पूर्व से पश्चिम तक अधिकतम चौड़ाई 483 किमी. है।
- बिहार की समुद्र तल से औसत ऊंचाई 173 फीट (लगभग 53 मीटर) है।
- बिहार की उत्तरी सीमा नेपाल देश से जुड़ी हुई है, जो भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखा का एक भाग है। इसके पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश तथा दक्षिण में झारखंड राज्य है।
- बिहार की राजधानी पटना से देश के चारों महानगरों दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई और चेन्नई की दूरी क्रमशः 1,001 किमी; 533 किमी; 1,711 किमी. और 2,366 किमी. है।
- बिहार का प्राचीन भूगर्भिक इतिहास चतुर्थ कल्प से लेकर कैम्ब्रियन पूर्व कल्प तक फैला हुआ है।
- बिहार का जलोढ़ मैदान संरचनात्मक दृष्टि से सबसे नवीन संरचना वाला क्षेत्र है।
- उत्तरी बिहार का मैदान चतुर्थ कल्प से; उत्तरी चम्पारण तृतीय कल्प से; रोहतास, शाहाबाद और औरंगाबाद विंध्यन काल से संबंधित है।
- बिहार को भूगर्भिक संरचना के दृष्टिकोण से तीन भागों में बांटा जा सकता है:-
- धारवाड़ चट्टाने:- धारवाड़ क्रम की चट्टानें बिहार के दक्षिण पूर्वी भाग, जमुई, नवादा, खड़गपुर की पहाड़ी आदि के क्षेत्र में पाई जाती है, इन चट्टानों का निर्माण काल प्री कैम्ब्रियन युग का माना जाता है।
- टर्शियारी चट्टानें:- टर्शियारी क्रम की चट्टानें बिहार के उत्तर पश्चिमी भाग में पश्चिमी एवं पूर्वी चंपारण के आसपास के क्षेत्रों में पाई जाती है।
- विन्ध्यन समूह की चट्टानें:- बिहार के रोहतास एवं कैमूर जिले में विन्ध्यन समूह की चट्टानें पाई जाती हैं, जहाँ सीमेंट उद्योगों का विकास हुआ है।
बिहार का भौगोलिक विभाजन बिहार का भूगोल
- भौगोलिक दृष्टि से बिहार को दो भागों में बांटा जा सकता है-
- शिवालिक का पर्वतीय भाग एवं तराई क्षेत्रः बिहार के उत्तर-पश्चिम में स्थित इस छोटे क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल 932 वर्ग किमी. है। इसके तीन उप विभाग हैं-
- रामनगर दून: 214 वर्ग किमी. क्षेत्र पर फैले इस छोटी-छोटी पहाड़ियों के क्रम की अधिकतम ऊंचाई 240 मीटर है। यह दक्षिण श्रेणी के रूप में भी जानी जाती है।
- सोमेश्वर श्रेणी: पश्चिम में त्रिवेणी नहर के शीर्ष भाग से भिखनाठोरी तक लगभग 75 वर्ग किमी. में विस्तृत इस श्रेणी का शीर्ष भाग बिहार व नेपाल के बीच सीमा के रूप में है। इसकी सर्वोच्च चोटी 874 मीटर है। इसमें सोमेश्वर, भिखनाठोरी और मरवात प्रमुख दर्रे हैं, जो नदी के बहाव के कारण बने हैं।
- दून घाटीः यह घाटी रामनगर दून तथा सोमेश्वर श्रेणी के मध्य स्थित है। लगभग 24 किमी. लम्बी और गंगा के जलोढ़ मैदान से कुछ ऊंची इस घाटी को हरहा नदी की घाटी भी कहते हैं।
- गंगा का मैदानी क्षेत्र: लगभग 45,000 वर्ग किमी. क्षेत्रफल को आवृत्त करता यह क्षेत्र उत्तर में नेपाल की सीमा से लेकर दक्षिण में छोटानागपुर तक विस्तृत है। इससे संबंधित कुछ तथ्य निम्नलिखित हैं-
- गंगा नदी बिहार के इस समतल मैदान को निम्न दो भागों में विभाजित करती है- (a) उत्तरी गंगा का मैदान, (b) दक्षिण गंगा का मैदान।
- इसका निर्माण नदियों तथा इस प्रदेश में प्रवाहित अपवाह प्रणाली द्वारा लाए गए अवसादों के निरन्तर जमाव से हुआ है, जो हिमालय के उत्थान के प्रारम्भ से अभी तक निरन्तर जारी है।
- इसका ढाल 6 सेमी. प्रति किमी. है तथा औसत ऊंचाई 60 मी. से 120 मी. के मध्य है। जबकि इसकी गहराई 1,000 मी. से 1,500 मी. के बीच है।
- घाघरा-गंडक दोआब, गंडक-कोसी दोआब व कोसी-महानन्दा दोआब यहां के मुख्य दोआब है।
- यहां नदियों के मध्य बाढ़ क्षेत्र के विशेष आकृति ‘दियारा प्रदेश’ तथा नदी धाराओं से निर्मित ‘चौर’ व ‘छारन’ की विशेषता है।
- दक्षिण बिहार के मैदान में गया (266 मी.), राजगीर (466 मी.) गिरियक और बराबर की पहाड़ियां, पाई जाती हैं।
- दक्षिण बिहार मैदान की औसत ढाल दक्षिण से उत्तर की ओर है तथा इसका निर्माण पठारी प्रदेश से होकर बहने वाली नदियों के द्वारा लाई गई बलुई मिट्टी से हुआ है।
- गंगा के दक्षिणी तटबंध से लगे दक्षिण की ओर गहराई वाले क्षेत्र मिलते हैं, जो ‘टाल’ कहलाते हैं।
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